मृत्यु ऐसा सत्य है जिसे हर कोई जानता तो हैं लेकिन मानने से हर कोई इंकार करता है, क्योंकि सभी मृत्यु से भागना चाहते है, लेकिन इस संसार में कोई भी अजर अमर नहीं है, हमारे हिन्दू धर्म के पुराणों और शास्त्रों की बात की जाये तो उनमे भी जीवन और मृत्यु के बारे में कई बाते बताई गयी है, इन्ही पुराणों में से एक गीता में भी ऐसी कई बातो का वर्णन है, इसमें मनुष्य के जीवन, मरण, धर्म और कर्म से जुडी सभी बाते बताई गयी है, गीता में बताया गया है की शुक्ल पक्ष में जिन लोगो की मृत्यु हो जाती है उन्हें पुनःजन्म का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पता है और वही जो लोग कृष्ण पक्ष में मृत्यु को प्राप्त करते है वे इस पृथ्वीलोक पर दोबारा जन्म लेते है |
प्राचीन शास्त्रों और प्राचीन मान्यताओं के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा शरीर त्यागती है लेकिन आत्मा हमेशा से अमर ही रहती है, गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था की जो मनुष्य अपने जीवन में पाप करता है, उसे कभी भी दूसरा जन्म नहीं मिलता है और ना ही उसकी आत्मा को शांति मिलती है | वहीँ जो लोग पुण्य करते है उन्हें पुनः मनुष्य के रूप में जन्म जरूर मिलता है, और जो लोग शुक्ल पक्ष में मरते है उन्हें भी दोबारा जन्म नहीं मिलता है लेकिन कृष्ण पक्ष में जन्म लेने वाले पुनः जन्म अवश्य लेते है |
शुक्ल कृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते ।
एकया यात्यनावृत्ति मन्ययावर्तते पुनः ॥
महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने इस श्लोक के जरिये अर्जुन को बताया था की इस संसार में दो प्रकार के मार्ग है, एक कृष्ण यानि देवयान और दूसरा शुक्ल यानि पितृयान मार्ग | जो व्यक्ति शुक्ल पक्ष में मृत्यु प्राप्त करते है वे दोबारा इस धरती पर जन्म नहीं लेते है और जो लोग शुक्ल पक्ष में जन्म लेते है वे दोबारा जन्म अवश्य लेते है |
महाभारत के युद्ध में जब भीष्म पितामह मृत्यु शय्या पर लेते थे तब उन्होंने अपना शरीर तब तक नहीं त्यागा था जब तक शुक्ल पक्ष नहीं आ गया, उन्होंने शुक्ल पक्ष में ही अपना शरीर त्यागा था |